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नई दिल्ली: कानपुर के बिकरू गांव में कई पुलिस वालों की हत्या करने वाले गैंगस्टर विकास दुबे के एनकाउंटर मामले में उत्तर प्रदेश पुलिस को बड़ी राहत मिली है. जानकारी के मुताबिक, गैंगस्टर विकास दुबे के एनकाउंटर मामले में उत्तर प्रदेश पुलिस के खिलाफ कोई सबूत नहीं मिला है, जिसके मद्देनजर जस्टिस बीएस चौहान आयोग की रिपोर्ट में यूपी पुलिस को इस मामले में क्लीन चिट दे दी गई है. गैंगेस्टर विकास दुबे के एनकाउंटर मामले में हो रही जांच में यूपी पुलिस के फर्जी मुठभेड़ करने के खिलाफ कोई सबूत नहीं मिला है. गैंगस्टर विकास दुबे के एनकाउंटर के केस में आयोग को कोई भी चश्मदीद नहीं मिला है, जिससे यह साबित हो सके कि  एनकाउंटर फर्जी था. 

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क्या है पूरा मामाल?
विकास दुबे के एनकाउंटर के केस के मामले में पिछले साल 22 जुलाई को सुप्रीम कोर्ट के रिटायर जज जस्टिस बीएस चौहान की अध्यक्षता में एक जांच आयोग का गठन किया गया था. इसमें इलाहाबाद के एचसी जज शशि कांत अग्रवाल और पूर्व डीजीपी केएल गुप्ता शामिल थे. आयोग ने स्वतंत्र गवाहों की आठ महीने की गहन खोज के बाद सोमवार को यूपी सरकार को अपनी रिपोर्ट सौंपी.

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सूत्रों के मुताबिक, रिपोर्ट में कहा गया है कि 10 जुलाई को मुठभेड़ दिन के उजाले में हुई थी, लेकिन इसमें एक भी गवाह सामने नहीं आया है और इस मामले में पुलिस के खिलाफ कोई सबूत नहीं मिला है. आयोग ने समाचार पत्रों में इससे संबंधित बार-बार विज्ञापन भी दिया. आसपास के लोगों और वहां मौजूद मीडिया कर्मियों से भी अनुरोध किया कि पुलिस के खिलाफ कोई सबूत हो तो जरूर दें. आयोग ने मुठभेड़ स्थलों से सटे गांवों में पर्चे भी वितरित किए थे.

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इसके अलावा विकास दुबे और उसके अन्य पांच साथी जिन्हें मुठभेड़ में मारा गया था, उनके परिवार के लोगों, रिश्तेदारों व गांव वालों ने भी पुलिस के खिलाफ कोई बयान नहीं दिया. 130 पेज की इस रिपोर्ट में 600 पेजों के दस्तावेज शामिल हैं. आयोग ने मीडिया के बर्ताव पर भी निराशा व्यक्त की है कि बार बार अनुरोध के बाद भी मुठभेड़ से संबंधी फुटेज नहीं दी गई. 

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